वक़्त तेरी ये अदा मैं आज तक समझा नहीं
मेरी दुनिया क्यूँ बदल दी ,मुझको क्यूँ बदला नहीं
इस नतीजे पर पहुँचने में बड़ी मुद्दत लगी
तुझसे अछे तो बहुत हैं ,पर कोई तुझ सा नहीं
दूर जाती एक परछाई ,हवा में हिलता हाथ
जुदाई का वो मंज़र मैं अभी तक भुला नहीं
फिर मुझे क्यूँ लग रहा है ,ये मंजिल दूर है
इस सफ़र में सच यही है ,मैं कहीं ठहरा नहीं
एक नए अंदाज़ से होगी बसर अब ज़िन्दगी
मेरे हिस्से की ज़मीन पर आस्मां -साया नहीं
मेरी दुनिया क्यूँ बदल दी ,मुझको क्यूँ बदला नहीं
इस नतीजे पर पहुँचने में बड़ी मुद्दत लगी
तुझसे अछे तो बहुत हैं ,पर कोई तुझ सा नहीं
दूर जाती एक परछाई ,हवा में हिलता हाथ
जुदाई का वो मंज़र मैं अभी तक भुला नहीं
फिर मुझे क्यूँ लग रहा है ,ये मंजिल दूर है
इस सफ़र में सच यही है ,मैं कहीं ठहरा नहीं
एक नए अंदाज़ से होगी बसर अब ज़िन्दगी
मेरे हिस्से की ज़मीन पर आस्मां -साया नहीं