बहुत गम बाँटे ...बहुत खुशियाँ पाई हैं...


बहुत गम बाँटे ...बहुत खुशियाँ पाई हैं...
अजब सी फ़ितरत है मेरी ...
हर एक तन्हाई पर हज़ारों महफिले सजाई हैं..
अब बहुत हुआ...

चलो कुछ पल खुद के ही संग बस गुज़ारें जाए ...

चलो फिर तन्हाइओ से ख़तम करूँ बेरूख़ी,
कुछ गमों को भी गले से लगाया जाए....

बहुत सोदे कर चुका अपने जसबतो के सरे-बज्म ...

चलो कुछ अश्क उनकी यादों से लिपटे रख लूँ दिल मे ही...
ज़रूरी तो नही हर एक अनमोल लम्हे की कीमत लगाई जाए,

कुछ ख़यालों को

पॅल्को के ही किसी कोने मे जनन्त मिले तो क्या बुरा है?
ज़रूरी तो ऩही
हर ख्वाब को हक़िकत की तपिश मे आजमाया जाए...

फूल मुरझा जाते हैं, काटे हैं सदा बहार...

जो क्या हुआ कुछ चुभते हैं,
जो रहे साथ ता उम्र चलो उसी से दिल लगाया जाए..