कब कोन किसी का होता है,


कब कोन किसी का होता है,
सब झुठे रीश्ते नाते है.

सब दिल रखने की बातेँ है,
सब असली रुप छिपाते है.

झुठ से खाली लोग यहा,
लब्झो के तीर चलाते है,

ईक बार निगाहो मे आ कर,
फिर सारी उमर रुलाते है

चलो आज जिसने दुख दिया "माही",
उसे भुल जाते है.