अकेलापन


सिगरेट के धुए ने फेफड़ो को
वक्त पहले जवान कर दिया
खुबसूरत चहरो को ,दीवार  पर लगे
बिजली के स्विच खा गये |

देखो रोशनदान  में मकड़ी के जाले है
हमारे कमरे की दीवारों पर काफी समय से
पुताई नहीं हुई है दोस्त
उदाश -उदाश से दरवाजे
हस्ते है  मुझपर लगातार

खिडकिया खोलने वाले हाथ अभी नहीं है
पर जब होंगे तो क्या पता
उनकी झुरिया सहने की हिम्मत
                             मुजमे हो.......... ना हो ?
किताबो की ताक को छूना नहीं
धुल से सन जायेंगे हाथ खामख्वा

बेतरतीबी  से बिखरी यह छोटी - मोटी चीजे
ये गिलास कितने खामोस है
इनके पेंदे की चाय ठोस हो गयी होगी
काश
मुझे बल नोचने की आदत होती
तो  यकीन करो
कोने पड़ी हुई ये बुझी हुई ये तीलिया
मुझे कतई नहीं रोक सकती थी ................

तकिये के गिलास चदर का मेल
कभी मेरी नींद में रुकावट नहीं लाया
यहाँ मेरे पास कोई आता क्यूँ नहीं
में बिलकुल अकेला हु
और आता है तो क्यूँ
मुझे अकेलापन भाता है

चाहे कुछ भी हो
इस कमरे शांति है
बाहर की आवाजो को रोका नहीं जा सकता
और  फिर
घर से बाहर तो मुझे नहाकर ही निकलना होता है

इतना गौर से क्या देख रहे हो  मुझे
आंखे झुका लो -----ये गड़ती है
चुभन होती है इनमे
वेसे भी तुम अब यहाँ
कुछ नहीं खोज नहीं पावोगे
यह जो धुधला दर्पण  है ना यह
मुझे तो यह कब का निगल चूका है |