तुजे मेरी उम्र दराज हो ......





न साज है न श्रृंगार बस है तो एक सीधी सी बात ..
हर रात तेरी नन्ही सी आँखे देखे जो ख्वाब ,
सूरजकी पहली किरण आए दबे पाँव ,
और तेरे ख्वाब पुरे करती जाए .....
सर्दीकी धूपसा हो नर्म नर्म तेरा असर ,
बारिशकी बूंदों जैसी बरसे तेरी हँसी छम छमा छम ,
कड़ी धूप बैसाखकी भी भली सी लागे ,
तेरे कानोमें वो कोयलकी कुक ही सुनाये ............
और क्या मांगू मेरे रबसे यारा ?
बस तुझे मेरी उम्र लग जाए ...........
जाते जाते मेरा आज का ख्याल :
मेरे ख़यालका तुम ख़याल कर लेते हो ...
मेरी निगाहों के सवालको भी पढ़ लेते हो ...
मेरी कुछ अनकही भी सुन लेते हो .....
वाह ! और क्या कहूँ तुम तो कमाल कर लेते हो ........