और ऐसा मकाम था .........





एक रात थी ,एक चाँद था ,
वो साथ था और मैं अकेली रह गई ....

एक इब्तदा थी ,एक मकाम था ,
चलने की ख्वाहिश थी और मैं रुक गई ...

एक आरजू थी ,एक कशिश थी ,
हसरतोंकी शमा जली और मैंने आँख मूँद ली ......

एक चाहत थी ,एक आस थी ,एक प्यास थी ,
करीब हमारे उल्फत थी पर मेरे लिए नायाब क्यों हो गई ???????