![](http://2.bp.blogspot.com/-1qGd2V3vPoM/ThK-qsnQz-I/AAAAAAAAIdY/qd55ebfZ7mE/s1600/exam.jpg)
इस हाथ से कमाई हैं दौलत
उस हाथ से उडाता हूँ मैं
गैर अब क्या लूटेंगे मुझको
अपनों से लुटवाता हूँ मैं
जो बनाया हैं अक्स अपना
खुद ही उससे घबराता हूँ मैं
फिर क्यों अपनों के गैर को
अपनाता हूँ मैं
मंजिलों का पता नहीं
रास्ते भी अनजाने से हैं
फिर क्यों उन्ही रास्तों में
जोर आजमाता हूँ मैं
गुमशुदा हूँ ज़िन्दगी से
और हौसला भी कमज़ोर हैं
क्यों घूम फिर कर उन्ही
चौराहों पर आ जाता हूँ में