क़ुबूल कर लें कि अब इक़रार-ए-मोहब्बत कर भी लें...


क़ुबूल कर लें कि अब इक़रार-ए-मोहब्बत कर भी लें...
दिल के अरमान रह जाते हैं ज़ुबाँ तक आते-आते...!!!

हर इक शै में अब उनका ही अक्स नज़र आये

उनके ही सपने अब मुझे हैं रात-दिन सताते...!!!

देखा है हमने उनकी आँखों में भी जज़्बा-ए-इश्क़...

फ़िर क्यूँ इज़हार-ए-मोहब्बत हम कर नहीं पाते...!!!

डर है हमें कहीं वो कर न दें इनकार-ए-मोहब्बत...

इसीलिए शायद डरते हैं हम प्यार को आज़माते...!!!