उसे भूल जाने के सिवा कोई रास्ता भी नही ....
पर कैसे भूल जाऊ वो कोई हादसा तो नही........
हसीन उसके जैसे हजारो होंगे जमाने में ....
मगर मेरी निगाहों में उसके सिवा कोई भी नही .......
मै तो सजाये रहता हूँ खामोश होठो पर भी नाम उसका ..
पर उसके होठो पर मेरा नाम भूल से आता भी नही ...
वो है की मेरे ख्यालो की दहलीज़ पर से वो कभी जाता ही नही ....
एक वो ही है की कभी प्यार से मुझे एक बार देखता भी नही ......
जला लिए हाथ ये सोचकर की वो मेरी लकीरों में नही ....
मगर कैसे हासिल करूं उसे -उसकी लकीरों में तो मेरा जिक्र भी नही ...
मै कहने भर के लिए सूरज (रवि ) रह गया हूँ दोस्तों ...
यूँ तो मेरे पास बुझे चिराग जितनी रोशनी भी नही .......
पर कैसे भूल जाऊ वो कोई हादसा तो नही........
हसीन उसके जैसे हजारो होंगे जमाने में ....
मगर मेरी निगाहों में उसके सिवा कोई भी नही .......
मै तो सजाये रहता हूँ खामोश होठो पर भी नाम उसका ..
पर उसके होठो पर मेरा नाम भूल से आता भी नही ...
वो है की मेरे ख्यालो की दहलीज़ पर से वो कभी जाता ही नही ....
एक वो ही है की कभी प्यार से मुझे एक बार देखता भी नही ......
जला लिए हाथ ये सोचकर की वो मेरी लकीरों में नही ....
मगर कैसे हासिल करूं उसे -उसकी लकीरों में तो मेरा जिक्र भी नही ...
मै कहने भर के लिए सूरज (रवि ) रह गया हूँ दोस्तों ...
यूँ तो मेरे पास बुझे चिराग जितनी रोशनी भी नही .......