जब भी देखा, जहाँ भी देखा
बस तू ही तू नज़र है आया।
बंद पलकों में, दुआ में अपनी
बस तुझे ही सामने है पाया।
कितना प्यारा, ये पावन सा
रब ने ये रिश्ता है बनाया।
न कोई मंजिल न है ठिकाना
वक्त ने फिर भी, हमें है मिलाया।
उन मोड़ों पर, जो बहुत कठिन थे
हर उस मोड़ पर, तुझे मैंने है पाया।
गिर के संभालना, और फिर उठाना
आपने ही हमें, हरदम है सिखाया।
कैसे करना, सपनो को है पूरा
वक्त वक्त पर आपने हमें है सिखाया।
जब रास्ते पर, चलना था मुश्किल
तब सही रास्ता आपने हमें है दिखाया।
हमसे अपना ही भरोसा, जब टूट रहा था
तब आगे बढकर, हमारा हौसला है बढाया।
निराशा के समंदर में, डूबे थे जब हम
साहिल बनकर, किनारा हमें है दिखाया।
जब हो रहे थे, खुशियों से परे हम
बात बात पर हँसना हमें है सिखाया।
जब भी दुःख तकलीफों ने हमें सताया
हरदम हमसफ़र, तुझे साथ है पाया।
नज़र न लगे, हमारे इस रिश्ते को
जिसे हमने विश्वास की डोर से है पिरोया।
बस यही अब इक इल्तिजा है हमारी
ये साथ यूँ ही रहे सदा, ऐ खुदाया।
बस तू ही तू नज़र है आया।
बंद पलकों में, दुआ में अपनी
बस तुझे ही सामने है पाया।
कितना प्यारा, ये पावन सा
रब ने ये रिश्ता है बनाया।
न कोई मंजिल न है ठिकाना
वक्त ने फिर भी, हमें है मिलाया।
उन मोड़ों पर, जो बहुत कठिन थे
हर उस मोड़ पर, तुझे मैंने है पाया।
गिर के संभालना, और फिर उठाना
आपने ही हमें, हरदम है सिखाया।
कैसे करना, सपनो को है पूरा
वक्त वक्त पर आपने हमें है सिखाया।
जब रास्ते पर, चलना था मुश्किल
तब सही रास्ता आपने हमें है दिखाया।
हमसे अपना ही भरोसा, जब टूट रहा था
तब आगे बढकर, हमारा हौसला है बढाया।
निराशा के समंदर में, डूबे थे जब हम
साहिल बनकर, किनारा हमें है दिखाया।
जब हो रहे थे, खुशियों से परे हम
बात बात पर हँसना हमें है सिखाया।
जब भी दुःख तकलीफों ने हमें सताया
हरदम हमसफ़र, तुझे साथ है पाया।
नज़र न लगे, हमारे इस रिश्ते को
जिसे हमने विश्वास की डोर से है पिरोया।
बस यही अब इक इल्तिजा है हमारी
ये साथ यूँ ही रहे सदा, ऐ खुदाया।